Being a single protected child ,born and brought up in good environment , I was not aware of the dark side of the world,after spending almost an year outside my burrow,I get to know a different world, a different truth
"भ्रह्मित सत्य "
आये थे हम सीधी राह में चलने
पर बीच में हमारे कदम ल्ध्ख्धा गये .
अंधेरे को हमने रौशनी समझा
और सोचने की शमता गवा बैठे .
नशे को हमने मौसम समझा
और पैसे को अपनी जरूरत
पर इनके पीछे भाग कर ,
ज़िन्दगी के हसीन लम्हे गवा बैठे .
मोह को हमने प्यार कहा ,
काम से उसेको बदनाम किया
पर इन सब की वजह से हम कुछ
अनमोल यार गवा बैठे .
वापस देखने की कोशिश करी ,
तो हम नक्षा गवा बैठे .
ज़िन्दगी के हम कटपुतली थे ,
डोर थी नशा ,पैसा और काम .
हम शायद खुद पर ही सैयम गवा बैठे
-अनिमेष शाह
nice 1
ReplyDeletethanks bro..
ReplyDeletenice poetry Animesh...i love poems written in hindi
ReplyDelete